गणेश स्तवराज ! Ganesh Stavraj

गणेश स्तवराज भगवान गणेश की स्तुति के लिए एक प्रसिद्ध स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान गणेश की महिमा का वर्णन करता है और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए पाठ किया जाता है। गणेश स्तवराज का पाठ गणेश भक्तों द्वारा विशेष रूप से गणेश चतुर्थी और अन्य धार्मिक अवसरों पर किया जाता है। गणेश स्तवराज के इस पाठ को नित्य या विशेष अवसरों पर पढ़ने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है, जीवन की विभिन्न बाधाओं से मुक्ति मिलती है और साधक को सुख, समृद्धि एवं सफलता की प्राप्ति होती है।

गणेश स्तवराज

गणेश स्तवराज ! Ganesh Stavraj

भगवानुवाच

गणेशस्य स्तवं वक्ष्ये कलौ झटिति सिद्धिदम् ।
न न्यासो न च संस्कारो न होमो न च तर्पणम् ॥१॥

न मार्जनं च पञ्चाशत्सहस्त्रजपमात्रतः ।
सिद्धयत्यर्चनतः पञ्चशत ब्राह्मणभोजनात् ॥२॥

ॐ अस्य श्रीगणेशस्तवराजमन्त्रस्य भगवान् सदाशिवऋषिः, अनुष्टुप्छन्दः,
श्रीमहागणपतिर्देवता, श्रीमहागणपतिप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ।
विनायकैक-भावना-समर्चना-समर्पितं 
प्रमोदकैः प्रमोदकैः प्रमोद-मोद-मोदकम् ।

यदर्पितं सदर्पितं नवान्यधान्यनिर्मितं न कण्डितं 
न खण्डितं न खण्डमण्डनं कृतम् ॥१॥

सजातिकृद्विजातिकृत्-स्वनिष्ठ-भेदवर्जितं 
निरञ्जनं च निर्गुणं निराकृर्ति ह्यनिष्क्रियम् ।

सदात्मकं चिदात्मकं सुखात्मकं परं पदं 
भजामि तं गजाननं स्वमाययात्तविग्रहम् ॥२॥

गणाधिप ! त्वमष्टमूर्तिरीशसूनुरी  – 
श्वरस्त्वमम्बरं च शम्बरं धनञ्जयः प्रभञ्जनः ।

त्वमेव दीक्षितः क्षितिर्निशाकरः प्रभाक
रश्चराऽचर-प्रचार-हेतुरन्तराय-शान्तिकृत् ॥३॥

अनेकदं तमाल-नीलमेकदन्त-सुन्दरं 
गजाननं नमोऽगजानना-ऽमृताब्धि-मन्दिरम् ।

समस्त – वेदवादसत्कला – कलाप मन्दिरं 
महान्तराय कृत्तमोऽर्कमाश्रितोऽन्दरुं परम् ॥४॥

सरत्नहेम – घण्टिका – निनाद नूपुरस्व
नैर्मृदङ्ग तालनाद – भेदसाधनानुरूपतः ।

धिमि-द्धिमि-त्तथोङ्ग-थोङ्ग-धैयि-थैयिशब्दतो 
विनायकः शशाङ्कु‌शेखरः प्रहृष्य नृत्यति ॥५॥

सदा नमामि यूथनायकैकनायकं 
कलाकलाप-कल्पना-निदानमादिपूरुषम् ।

गणेश्वरं गुणेश्वरं महेश्वरात्मसम्भवं 
स्वपादपद्म-सेविनामपार-वैभवप्रदम् ॥६।

भजे प्रचण्ड-तुन्दिलं सदन्दशूकभूषणं 
सनन्दनादि-वन्दितं समस्त-सिद्धसेवितम् ।

सुराऽसुरौकयोः सदा जयप्रदं भयप्रदं 
समस्तविघ्न-घातिनं स्वभक्त-पक्षपातिनम् ॥७॥

कराम्बुजात-कङ्कणः पदाब्ज-किङ्किणीगणो 
गणेश्वरो गुणार्णवः फणीश्वराङ्गभूषणः ।

जगत्त्रयान्तराय-शान्तिकारकोऽस्तु तारको 
भवार्णवस्थ-घोरदुर्गहा चिदेकविग्रहः ॥८॥

यो भक्तिप्रवणश्चरा-ऽचर-गुरोः स्तोत्रं गणेशाष्टकं 
शुद्धः संयतचेतसा यदि पठेन्नित्यं त्रिसन्ध्यं पुमान् ।

तस्य श्रीरतुला स्वसिद्धि-सहिता श्रीशारदा सर्वदा 
स्यातां तत्परिचारिके किल तदा काः कामनानां कथाः ॥९॥

इति श्रीरुद्रयामलतो गणेशस्तवराजः सम्पूर्णः ॥

गणेश जी को खुश कैसे करें?

भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय और पूजा-विधियां हैं। गणेश जी को विघ्नहर्ता और बुद्धि, समृद्धि, और सौभाग्य के देवता माना जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख उपाय दिए जा रहे हैं, जिनसे आप भगवान गणेश को खुश कर सकते हैं।

1. गणेश चतुर्थी का व्रत और पूजा

  • गणेश चतुर्थी भगवान गणेश की पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन व्रत रखें और विधि-विधान से गणेश जी की पूजा करें।

2. गणेश मंत्रों का जाप

  • नियमित रूप से गणेश मंत्रों का जाप करें। कुछ प्रमुख मंत्र हैं:
    • ओम् गं गणपतये नमः
    • वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
    • संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ भी अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।

3. गणेश आरती

  • प्रतिदिन गणेश जी की आरती करें। कुछ प्रसिद्ध आरतियाँ हैं:
    • जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा
    • सुखकर्ता दुःखहर्ता

4. ध्यान और प्रार्थना

  • प्रतिदिन ध्यान करें और गणेश जी की प्रार्थना करें। ध्यान के दौरान गणेश जी का ध्यान उनके विशेष रूप में करें जैसे उनके चार हाथ, गजमुख, और मोदक।

5. गणेश जी को प्रिय वस्तुएं अर्पित करें

  • गणेश जी को मोदक, लड्डू, दूर्वा (दूब), और लाल फूल बहुत प्रिय हैं। इन्हें अर्पित करें।
  • दूर्वा (दूब) घास के 21 या 11 अंकुर अर्पित करें।

6. स्वच्छता और पवित्रता

  • पूजा स्थल और स्वयं को स्वच्छ रखें। भगवान गणेश स्वच्छता और पवित्रता पसंद करते हैं।

7. दान और सेवा

  • गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें। सेवा-भाव और दूसरों की सहायता करना गणेश जी को प्रसन्न करता है।

8. व्रत और उपवास

  • गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए बुधवार और चतुर्थी का व्रत रखें।

9. शुभ कार्यों की शुरुआत

  • किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी की पूजा से करें। इसे शुभ मानते हुए कार्य को निर्विघ्न रूप से संपन्न किया जाता है।

10. गणेश यंत्र की स्थापना

  • अपने घर में गणेश यंत्र की स्थापना करें और उसकी नियमित पूजा करें। यह घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाता है।

गणेश जी की भक्ति में मन, वचन और कर्म की शुद्धि बहुत महत्वपूर्ण है। ईमानदारी, सत्यता और समर्पण से भगवान गणेश की पूजा करने से वे अवश्य प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

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