शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र क्या है और कैसे करें ?

शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र ! 

शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र आदि शंकराचार्य द्वारा लिखा गया एक प्राचीन संस्कृत स्तोत्र है, जिसे भगवान शिव की आराधना और उनसे क्षमा याचना करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इस स्तोत्र का उच्चारण शिव भक्तों के द्वारा किया जाता है ताकि वे अपने जीवन में किए गए पापों और अपराधों के लिए भगवान शिव से क्षमा प्राप्त कर सकें।

इस स्तोत्र के पाठ से मानसिक शांति प्राप्त होती है और आत्मा शुद्ध होती है। यह स्तोत्र व्यक्ति को उसके जीवन में किए गए अनजाने पापों के प्रति जागरूक करता है और उसे सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति के भीतर शांति, संतोष और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

जैसा हम जानते है ,भगवान शिव को क्षमादान और दयालुता का प्रतीक माना जाता है। जब कोई भक्त इस स्तोत्र का श्रद्धापूर्वक पाठ करता है, तो वह भगवान शिव की कृपा का पात्र बनता है। शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और सफलता आती है। यह न केवल भक्त के पापों का नाश करता है, बल्कि उसे धर्म और आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने के लिए अग्रसर भी करता है।

इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्त को यह अहसास होता है कि भगवान शिव उसकी हर गलती को माफ कर सकते हैं, बशर्ते वह सच्चे दिल से प्रायश्चित करे।

शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र ! 

शिव अपराध क्षमापन करने के नियम

शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र का पाठ करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। इस पवित्र स्तोत्र का पाठ विधिपूर्वक करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

  1. स्वच्छता और पवित्रता: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मन और तन को पवित्र रखें।
  2. पूजा स्थान: एक शांत और पवित्र स्थान का चयन करें जहां आप बिना किसी विघ्न के ध्यान लगा सकें। भगवान शिव की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
  3. धूप और दीपक: भगवान शिव के समक्ष धूप और दीपक जलाएं। यह पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।
  4. आरम्भिक प्रार्थना: पाठ शुरू करने से पहले भगवान शिव का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें कि वे आपके पाठ को स्वीकार करें और आपको क्षमा प्रदान करें।
  5. शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र का पाठ: पूरे ध्यान और श्रद्धा के साथ स्तोत्र का पाठ करें। नीचे हमने पूरा पाठ लिख दिया है । महत्वपूर्ण है कि हर शब्द को भावना के साथ उच्चारित करें।
  6. ध्यान और मंत्र: स्तोत्र के पाठ के बाद थोड़ी देर ध्यान में बैठें और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। यह मन को शांति और स्थिरता प्रदान करेगा।
  7. प्रसाद और आशीर्वाद: पाठ समाप्त होने के बाद भगवान शिव को प्रसाद अर्पित करें। अंत में, भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करें और उन्हें धन्यवाद दें।
  8. नियमितता: इस स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करने से इसके लाभ अधिक मिलते हैं। प्रतिदिन या प्रत्येक सोमवार को इसका पाठ करना उत्तम होता है।

शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र का पाठ करते समय शुद्ध हृदय और सच्ची भावना का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। भगवान शिव की कृपा से आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव अवश्य आएंगे।

शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र ! Shiv Apradh Kshamapan Stotra

आदौ कर्मप्रसङ्गात् कलयति कलुषं मातृकुक्षौ स्थितं मां 
विण्मूत्रामेध्यमध्ये क्वथयति नितरां जाठरो जातवेदाः।
यद्यद्वै तत्र दुःखं व्यथयति नितरां शक्यते केन वक्तुं 
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो ।।१।।

बाल्ये दुःखातिरेको मललुलितवपुः स्तन्यपाने पिपासा 
नो शक्तश्चेन्द्रियेभ्यो भवगुणजनिता जन्तवो मां तुदन्ति।
नानारोगादिदुःखाद्रुदनपरवशः शङ्करं न स्मरामि
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।२।।

प्रौढोऽहं यौवनस्थो विषयविषधरैः पंचभिर्मर्मसन्धौ 
दष्टो नष्टो विवेकः सुतधनयुवतिस्वादसौख्ये निषण्ण:।
शैवीचिन्ताविहीनं मम हृदयमहो मानगर्वाधिरूढं 
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।३।।

वार्द्धक्ये चेन्द्रियाणां विगतगतिमतिश्चाधिदैवादितापैः 
पापै रोगैर्वियोगैस्त्वनवसितवपुः प्रौढिहीनं च दीनम्।
मिथ्यामोहाभिलाषैर्भ्रमति मम मनो धूर्जटेर्ध्यानशून्यं
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।४।।

वार्द्धक्ये चेन्द्रियाणां विगतगतिमतिश्चाधिदैवादितापैः 
पापै रोगैर्वियोगैस्त्वनवसितवपुः प्रौढिहीनं च दीनम्।
मिथ्यामोहाभिलाषैर्भ्रमति मम मनो धूर्जटेर्ध्यानशून्यं
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।४।।

नो शक्यं स्मार्तकर्म प्रतिपदगहनप्रत्यवायाकुलाख्यं 
श्रौते वार्ता कथं मे द्विजकुलविहिते ब्रह्ममार्गे सुसारे।
नास्था धर्मे विचारः श्रवणमननयोः किं निदिध्यासितव्यं
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।५।।

स्नात्वा प्रत्यूषकाले स्नपनविधिविधौ नाहृतं गाङ्गतोयं 
पूजार्थं वा कदाचिद्बहुतरगहनात्खण्डबिल्वीदलानि । 
नानीता पद्ममाला सरसि विकसिता गन्धपुष्पे त्वदर्थं
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।६।।

दुग्धैर्मध्वाज्ययुक्तैर्दधिसितसहितैः स्नापितं नैव लिङ्ग 
 नो लिप्तं चन्दनाद्यैः कनकविरचितैः पूजितं न प्रसूनैः।
धूपैः कर्पूरदीपैर्विविधरसयुतैर्नैव भक्ष्योपहारैः
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।७।।

ध्यात्वा चित्ते शिवाख्यं प्रचुरतरधनं नैव दत्तं द्विजेभ्यो 
हव्यं ते लक्षसंख्यैर्हुतवहवदने नार्पितं बीजमन्त्रैः।
नो तप्तं गाङ्गतीरे व्रतजपनियमै रुद्रजाप्यैर्न वेदैः
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।८।।

स्थित्वा स्थाने सरोजे प्रणवमयमरुत्कुण्डले सूक्ष्ममार्गे 
शान्ते स्वान्ते प्रलीने प्रकटितविभवे ज्योतिरूपे पराख्ये। 
लिङ्गज्ञे ब्रह्मवाक्ये सकलतनुगतं शङ्करं न स्मरामि
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।९।।

नग्नो निःसङ्गशुद्धस्त्रिगुणविरहितो ध्वस्तमोहान्धकारो 
नासाग्रे न्यस्तदृष्टिर्विदितभवगुणो नैव दृष्टः कदाचित्।
उन्मन्यावस्थया त्वां विगतकलिमलं शंकरं न स्मरामि
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।१०।।

चन्द्रोद्भासितशेखरे स्मरहरे गङ्गाधरे शंकरे 
सर्वैर्भूषितकण्ठकर्णविवरे नेत्रोत्थवैश्वानरे।
दन्तित्वक्कृतसुन्दराम्बरधरे त्रैलोक्यसारे हरे 
मोक्षार्थं कुरु चित्तवृत्तिमखिलामन्यैस्तु किं कर्मभिः।।११।।

किं वानेन धनेन वाजिकरिभिः प्राप्तेन राज्येन किं 
किं वा पुत्रकलत्रमित्रपशुभिर्देहेन गेहेन किम्। 
ज्ञात्वैतत्क्षणभङ्गुरं सपदि रे त्याज्यं मनो दूरतः 
स्वात्मार्थं गुरुवाक्यतो भज भज श्रीपार्वतीवल्लभम्।।१२।।

आयुर्नश्यति पश्यतां प्रतिदिनं याति क्षयं यौवनं 
 प्रत्यायान्ति गताः पुनर्न दिवसाः कालो जगद्भक्षकः।
लक्ष्मीस्तोयतरङ्गभङ्गचपला विद्युच्चलं जीवितं 
 तस्मान्मां शरणागतं शरणद त्वं रक्ष रक्षाधुना।।१३।।

करचरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व
जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो ॥१४।।

FAQ शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र ! 

शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र क्या है?

शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र एक पवित्र संस्कृत रचना है, जिसमें भगवान शिव से उनके भक्त अपने जाने-अनजाने में किए गए अपराधों और पापों के लिए क्षमा याचना करते हैं। इसका उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और मन की शांति प्राप्त करना है।

शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र का पाठ करने के क्या फायदे हैं?

इस स्तोत्र का पाठ करने से मानसिक शांति, आत्मा की शुद्धि, और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। यह व्यक्ति को उसके पापों के प्रति जागरूक करता है और उसे सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। इसके अलावा, जीवन में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और सफलता भी प्राप्त होती है।

क्या शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र का पाठ रोज़ करना चाहिए?

हाँ, इस स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करना अत्यंत लाभकारी होता है। प्रतिदिन या प्रत्येक सोमवार को इसका पाठ करने से इसके लाभ अधिक प्राप्त होते हैं।

अगर स्तोत्र का उच्चारण सही से नहीं हो पाता तो क्या करना चाहिए?

यदि स्तोत्र का सही उच्चारण नहीं हो पाता, तो भी इसे सच्चे दिल और श्रद्धा के साथ पढ़ना चाहिए। भगवान शिव अपने भक्तों की भावना और भक्ति को अधिक महत्व देते हैं।

क्या शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र का पाठ महिलाओं द्वारा किया जा सकता है?

हाँ, इस स्तोत्र का पाठ महिलाएं भी कर सकती हैं। भगवान शिव के समक्ष सभी भक्त समान हैं, चाहे वे पुरुष हों या महिलाएं।

क्या शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र को किसी विशेष समय पर पढ़ना चाहिए?

इस स्तोत्र का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन सुबह के समय इसका पाठ करना अधिक शुभ माना जाता है। इसके अलावा, सोमवार को भगवान शिव का विशेष दिन माना जाता है, इसलिए इस दिन इसका पाठ करना अत्यधिक लाभकारी होता है।

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